गौ मूत्र पीने के फायदे : हिंदू धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना गया है अनेक अवसरों पर गाय की पूजा भी हिंदू धर्म में की जाती है गाय का दूध गोबर और मूत्र को भी बहुत पवित्र माना गया है प्राचीन काल से हमारे पूर्वज गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग विभिन्न कामों में करते आ रहे हैं मान्यता है कि नियमित रूप से गोमूत्र पीने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है गोमूत्र में ऐसी क्या खास बात है जो प्राचीन काल से इसका महत्व बना हुआ है

शास्त्रों में ऋषियों मुनियों ने गाय की अनंत महिमा लिखी है उनके दूध, दही, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेकों रोग दूर होते हैं गोमूत्र एक महाऔषधि है इसके अनेको फायदे है |
इसका वैज्ञानिक महत्व इस प्रकार है
गौमूत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गोमूत्र आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोनिक एसिड, पोटाश, नाइट्रोजन, अमोनिया, मैंगनीज, सल्फर, फॉस्फेट, पोटेशियम, यूरिक एसिड और अमीनो से भरपूर है। अम्ल. , वगैरह।
इसके अलावा इसमें 95% पानी, 2.5% यूरिया, 24 प्रकार के लवण और 2.5% एंजाइम होते हैं। इसके अलावा, कैंसर, एडिमा, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियों के लक्षणों से राहत दिलाने में भी गोमूत्र के फायदे देखे गए हैं। इसके अलावा, गोमूत्र एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है जो मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है।

गौ मूत्र पीने के फायदे – Benefits of Cow Urine
- आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीनों दोषो की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं लेकिन गौ मूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं
- दिमागी टेंशन की वजह से नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है लेकिन गोमूत्र पीने से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है और उन्हें किसी भी किस्म की कोई बीमारी नहीं होती है
- रक्त में पाए जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए गोमूत्र पीना बहुत ही लाभदायक होता है
- अगर कोई गाय के बछड़े को जन्म दिया है तो ऐसी गाय का दूध या गोमूत्र बहुत फायदेमंद होता है इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं वैज्ञानिक भाषा में बहुत स्वास्थ्यवर्धक हारमोंस और मिनिरल्स होते हैं
1. गले का कैंसर–
100 मिलीग्राम गोमूत्र तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर ले दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन में छान लें और नित्य सुबह कर्म से निवृत्त होकर निरंतर 6 महीने तक इसका प्रयोग करें इसके प्रयोग करने से गले का कैंसर ठीक हो जाता है
2. चर्म रोग–
नीम और गिलोय क्वाथ के साथ सुबह शाम को मूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्म रोग नष्ट हो जाता है इसके अलावा चर्मरोग पर जीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी होता है|
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3. पीलिया–
200 से 250 मिली गोमूत्र 15 दिन तक पिए उच्च रक्तचाप होने पर एक चौथाई प्याले गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें यह उच्च रक्तचाप में फायदा करता है दमा के रोगी हो तो छोटी बछड़ी का एक तोला गोमूत्र नियमित पीना लाभकारी होता है|
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4. जोड़ों का दर्द–
जोड़ों में दर्द होने पर गोमूत्र का प्रयोग दो तरीकों से किया जा सकता है इनमें से पहला तरीका है दर्द वाले स्थान पर गोमूत्र से सेक करें। और सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें ऐसा करने से जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है|
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5. मोटापा–
गोमूत्र के माध्यम से आप मोटापे पर आसानी से नियंत्रण पा सकते हैं आधे गिलास ताजे पानी में चार चम्मच गोमूत्र दो चम्मच शहद तथा एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें | ऐसा करने से जल्द ही मोटापे में कंट्रोल हो जाएगा |
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6. दंत रोग–
दांत दर्द एवं पेरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से इन परेशानियों में काफी लाभ मिलता है
7. हृदय रोग
चार चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है इसके साथ ही मधुमेह रोगियों के लिए भी काफी लाभकारी होता है मधुमेह के रोगियों को बिना ब्याई गाय का गोमूत्र प्रतिदिन डेड तोला सेवन करना चाहिए

8. यकृत प्लीहा बढ़ना
5 तोला गोमूत्र में एक चुटकी नमक मिलाकर पीने या गर्म ईट पर गोमूत्र में कपड़ा भिगोकर लपेटे तथा प्रभावित स्थान पर हल्की हल्की सिकाई करें
9. कब्ज या पेट फूलने पर
3 तोला ताजा गोबर छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाएं
बच्चे का पेट फूल जाए तो एक चम्मच गोमूत्र पिलाएं और गैस की समस्या में प्रातः काल आधे कप गोमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं या फिर पुराने गैस के रोग के लिए गोमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया छार भी गुणकारी होता है

गोमूत्र सेवन से पहले कुछ सावधानियां रखना बहुत ही आवश्यक होता है जैसे कि–
- देशी गाय का गोमूत्र ही सेवन करें गाय गर्भवती रोगी ना हो
- जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र सर्वोत्तम होता है
- 1 वर्ष से कम की बछिया का मूत्र सर्वोत्तम है
- मालिश के लिए 2 से 7 दिन पुराना गोमूत्र अच्छा होता है
- पीने हेतु गोमूत्र को 4 से 8 बार कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए
- बच्चों को पांच 5 ग्राम और बड़ों को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में गोमूत्र सेवन करना चाहिए
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